Thursday 23 February 2012

हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में ,
क्यूँ छुपकर बैठे हैं देवता आज तगारी में,
पहले रोटी मिलती थी तीन बार ,
अब तो गेहूं खत्म बखारी  में ।
हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में,

रहता था जो साथ हमेशां ,
नहीं मिला दुनिया सारी में।
देवी मानकर पूजें जिसको ,
वो गुण रहे नहीं नारी में ।
हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में ।


राम हो या रहीम सही ,
अल्लाह को रटते लाचारी में ।
अपना पैसा लोग लूटते ,
भारत बिका बाजारी में ।
हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में ।


शमशान में भी शीर मांगते ,
नेता डूबे नारी में ।
शातिर चोर चाहत पूछते ,
क्या रखा है इस वफादारी में ।
हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में ।


अन्ना जी ने आस जगाई ,
हुए सहायक सहूकारी में ।
भ्रष्ट नेता उन्हें दागने ,
लीये फिरते कीचड़ पिचकारी में ।
हाय ! राम ये क्या हो रहा है दुनियादारी में ।

2 comments:

Sayan said...

wah! sir ji kya likhawat hai....
........Thanks......

Unknown said...

Nice one