बादल से भी बड़ा
साया था माँ के आँचल का,
तब तो बात किसी की सही ही नहीं ।
दुनिया देती है ताने
और सुननी पड़ती है वो,
जो बातें किसी को कही ही नहीं ।
रोज होती थी पोलिश जूतों के
और रखता था सलीके से ,
अब तो जूते पहनने की आदत भी रही ही नहीं ।
हमेशां डूब जाता था
जिस प्रेम की नदी में,
वो तो इन दिनों बही ही नहीं ।
साया था माँ के आँचल का,
तब तो बात किसी की सही ही नहीं ।
दुनिया देती है ताने
और सुननी पड़ती है वो,
जो बातें किसी को कही ही नहीं ।
रोज होती थी पोलिश जूतों के
और रखता था सलीके से ,
अब तो जूते पहनने की आदत भी रही ही नहीं ।
हमेशां डूब जाता था
जिस प्रेम की नदी में,
वो तो इन दिनों बही ही नहीं ।
1 comment:
itna dard....
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