Sunday 26 February 2012

बादल  से भी बड़ा 
साया था माँ के आँचल का,
तब तो बात किसी की सही ही नहीं ।

दुनिया देती है ताने 
और सुननी पड़ती है वो,
जो बातें किसी को कही ही नहीं ।

रोज होती थी पोलिश जूतों के
और रखता था सलीके से ,
अब तो जूते पहनने की आदत भी रही ही नहीं ।

हमेशां डूब जाता था 
जिस प्रेम की नदी में,
वो तो इन दिनों बही ही नहीं ।

1 comment:

Sarita said...

itna dard....